नागपूर दंगे पर वंचीत नेता यश गौरखेडे ने लगाए पुलिस अधिकारीयों पर अति गंभी आरोप - गौरखेडे

नागपूर दंगे पर वंचीत नेता यश गौरखेडे ने लगाए पुलिस अधिकारीयों पर अति गंभी आरोप - गौरखेडे


 

नागपूर दंगे पर वंचीत नेता यश गौरखेडे ने लगाए पुलिस अधिकारीयों पर अति गंभी आरोप

ली पत्रकार परिषद... 


 प्रेस कान्फरेन्स की अब।मु्द्दे की बात ये है कि नागपुर को जीस तरीके से कलंकित किया गया। उस वक्त उस दिन उस रात में मैं खुद आप पत्रकार बंधुओं के साथ बहुत सारे लोगों ने मुझे वहाँ पे देखा। मैं उनके साथ उस दिन ग्राउंड पे था। मैंने देखा कि किस तरीके से।आम जनता को तकलीफ दी गई। हम लोगों ने देखा कि किस तरीके से पुलिस के ऊपर मारहान हुई। हमने देखा कि किस तरीके से कुछ लोगों ने वहाँ पे झाड़ पोड़ की और इसका खुला निषेध जो है वंचित भोजन अघाडी ये करता है और स्वयं हम लोगों ने वहाँ पे एक लाइ



भी इंस्टाग्राम पे एक लाइव और फेसबुक पे एक लाइव किया था जहाँ पे हमने अपील की थी कि शांति बनाए रखें और आगजनी और किसी भी जो दंगा हुआ है वो दंगा इसके बाद ना हो क्योंकि दंगे में कोई जाट धर्म नहीं होती। दंगाइयों की।


दंगा करने वाला ये देशद्रोही होता है। ये संविधान द्रोही होता है। ये हमको मान के चलना है। अब आज की जो प्रेस कान्फरेन्स की गई, इसका उद्देश्य यही था कि कुछ दिनों से हम लोगों ने।दोनों पक्षों के जीतने भी विक्टिम्स है। उनसे हमने मिलने की कोशिश की। उनसे हम लोग मिले भी और कल बकायदा ऐसे कुछ विक्टिम्स है जिनको जिनका पिछला नाम, उनके नाम के पीछे क्या लगता है?



ये पिछला नाम चेक करके पुलिस द्वारा नागपुर पुलिस द्वारा उनको जबरन सिर्फ शक के आधार पे उनको घर से उठाया गया और घर से उठाने के बाद उनको बेदम मारा गया।और इतना ब्रूटल पे पुलिस एट्रोसिटी हुई है कि किसी का हाथ टूट गया, किसी का पैर टूट गया और किसी को इतना मानसिक मतलब मानसिक तौर पे उनको इतना प्रताड़ित किया गया उनके परिवार जनों के सामने कि वो आज यहाँ पे आने वाले थे हमारे साथ।जैसे आपको प्रेस इनविटेशन में आपको जब कहा गया की एक विक्टिम है, वो खुद आके बोलने के लिए तैयार है, लेकिन हमारे पुलिसवाले इतने सजग है की थोड़ी देर पहले जब मैं यहाँ पे आ रहा था तो मैं लेट इसीलिए हुआ की मेरे घर पे कुछ पुलिसवाले गए थे।


इसका रीसन मेरे को नहीं पता। बिना नोटिस के बिना संविधान के आप लोग कैसे भी कार्रवाई कर रहे हो? और उसके बाद थोड़ी देर पहले मेरे को उसी विक्टिम का कॉल आया और उसने कहा कि सर मुझे खतरा है, मैं आगे नहीं आ सकता मैंने अगर वो आए विटनेस और उसके साथ साथ सिर्फ डोभी बस्ती नहीं।


सिर्फ पूरा नहीं, सिर्फ हंसा पूरी नहीं। ये पूरे के पूरे सेंट्रल नागपुर में जीतने भी लोग थे, जिन्होंने ये सब देखा या जिनको उनके आधार पे उनके पिछले नाम के आधार पर जिनको उठाया गया वो आके बात करने के लिए तैयार थे कि हमको किस तरीके से बिना नोटिस दिए या बिना कोई कार्रवाई किए? हमको घर से उठा के बेदम मारा गया और हमको?14 घंटे 18 घंटे मारने के बाद जानवरों को जैसे हमको मारने के बाद हमको छोड़ दिया गया यह बोल के की तुम लोग बेगुनाह हो तो यह परिस्थिति आज नागपुर में है की कोई अपनी आवाज बुलंद करना चाहता है। कोई अपनी कंप्लेंट फाइल करना चाहता है तो भी वह आगे से आके बात नहीं करना चाहता। हम खुद एक।




14 घंटे 18 घंटे मारने के बाद जानवरों को जैसे हमको मारने के बाद हमको छोड़ दिया गया यह बोल के की तुम लोग बेगुनाह हो तो यह परिस्थिति आज नागपुर में है की कोई अपनी आवाज बुलंद करना चाहता है। कोई अपनी कंप्लेंट फाइल करना चाहता है तो भी वह आगे से आके बात नहीं करना चाहता। हम खुद एक।


मतलब इतने बड़े पक्ष के हम छोटे से कार्यकर्ता है। अगर हमारे ऊपर भी प्रेस कान्फरेन्स ये ये कोई मतलब ये कोई आंदोलन तो है नहीं यहाँ पे भी अगर आईबी की पुलिस वालों की नजर है तो आप समझिये। उस दिन ये जो दंगल घटी उसमें भी आईबी की और पुलिस वालों की नजर थी। दे दी जा सबको।एक मिनट आप उसको रख दो बात कर लेंगे वो में एक व्यक्ति एक दूसरे पक्ष का वो वहाँ पे काम कर रहा था उस दिन।उसका सीसी टी वि फुटेज उसके पास है। उसके साथ साथ और छह लोग थे। वो अपने घर पे ही थे। उनका भी उनके बस्ती के जो लोग है उनका खुद कहना है कि ये लोग हमारे सामने इफ्तारी कर रहे थे। उनको बेदम रात में उठाया गया और उनको ये बोला गया कि हमारे पास फुटेज और तुम उस दंगे में शामिल थे। उनको भी मारा गया।



इसकी जवाबदारी जो है क्या वो होम मिनिस्ट्री ने लेनी चाहिए? ये हमारा उनसे सवाल है। बहुत सारे सवाल है जो पुलिस के ऊपर भी उठते है। बेशक पुलिसवालों की वजह से दंगा रुका, बेशक पुलिसवालों ने उनका काम बेहतरीन किया। लेकिन क्या ये निष्पक्ष कार्रवाई हुई है? इसके ऊपर एक बहुत बड़ा?

आप देखिएगा की नाम के आधार पर अगर उठा के मारा जा रहा है तो कुछ लोग जो है वो खुले में आके मतलब इनके कार्यकर्ता छोड़िये, इनके छुड़वैया इनके नेता छोड़िये।



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