नागपुर की मिट्टी से पली-बढ़ीं और अब मुंबई में अपनी साहित्यिक पहचान बना चुकीं डॉ. नेहा गोडघाटे ने हाल ही में अपने हृदयस्पर्शी कविता और ग़ज़ल संग्रह, 'कारवां-ए-इश्क' का लोकार्पण किया। यह साहित्यिक उत्सव नागपुर के हिंदी मोड़ भवन, सीताबर्डी में प्रख्यात साहित्यकारों सागर खादीवाला और प्रो. जावेद पाशा कुरैशी की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ, जहाँ साहित्य प्रेमियों का उत्साह देखते ही बनता था।
डॉ. सागर खादीवाला ने नेहा की लेखनी की गहराई को सराहते हुए कहा कि उनकी कविताओं और ग़ज़लों में गहन अर्थ बड़ी ही सहजता से पाठकों तक पहुँचते हैं। उनकी यह कला उन्हें अन्य रचनाकारों से विशिष्ट बनाती है। उन्होंने जटिल शब्दों से परहेज करते हुए सीधे दिल को छू लेने वाली एक अनूठी शैली विकसित की है, जिसकी पहचान उनकी "सादगी" है। हर कवि की अपनी एक विशेष शैली होती है, और नेहा की यही सादगी उनकी पहचान है।
प्रो. जावेद पाशा कुरैशी ने नेहा की रचनाओं के सामाजिक सरोकारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी कविताएँ और ग़ज़लें न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि वर्तमान सामाजिक व्यवस्था पर भी गंभीर चिंतन प्रस्तुत करती हैं। 'कारवां-ए-इश्क' में निहित उनका यह संदेश, "आज दुनिया को जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है, वह है प्यार और स्नेह," वर्तमान परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण आह्वान है। चारों ओर व्याप्त तनाव और अविश्वास के माहौल में, जहाँ मनुष्य ही मनुष्य से डर रहा है और असहिष्णुता बढ़ रही है, नेहा का 'प्रेम का कारवां' एक उम्मीद की किरण दिखाता है। यह संग्रह हमें उस प्रेम की याद दिलाता है जिसकी समाज को और हमें, एक इंसान के तौर पर, आज सबसे अधिक आवश्यकता है।
नेहा गोडघाटे की कविताएँ नई पीढ़ी की आशाओं और आकांक्षाओं का जीवंत प्रतिबिंब हैं। इस अवसर पर उन्होंने अपने संग्रह से कुछ चुनिंदा कविताओं का पाठ भी किया, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा। उनकी भावपूर्ण प्रस्तुति ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का कुशल संचालन कवि संजय गोडघाटे ने किया, जबकि माला गोडघाटे ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
'कारवां-ए-इश्क' केवल कविताओं का संग्रह नहीं है, बल्कि यह प्रेम, करुणा और मानवीय मूल्यों की एक यात्रा है, जो आज के चुनौतीपूर्ण समय में हमें एक नई दिशा दिखाती है। यह नागपुर की इस प्रतिभाशाली लेखिका का एक महत्वपूर्ण साहित्यिक योगदान है, जो निश्चित रूप से पाठकों के दिलों में अपनी गहरी छाप छोड़ेगा।